संक्रामक रोग से बचने के उपाय - An Overview



उनका यह भी सुझाव है कि लोगों को मास्क पहनने, हाथ धोने और भीड़-भाड़ वाली जगहों में जाने से बचने जैसे रोकथाम उपाय अपनाते रहने चाहिए।

रोगी को शरीर के कुछ हिस्सों में बेवजह दर्द होना शुरू हो जाता है।

वे लोग जो इम्यूनोसुप्रेसिव थेरेपी से गुजर रहे हैं।

मौसम बदलने के बाद हाथ-पैरों या शरीर के अन्य हिस्सों पर छोटे-छोटे दाने या पिंपल होना आम बात है। ऐसे में ज्यादातर लोग इसे एलर्जी या फिर फंगल इंफेक्शन की निशानी मान लेते हैं और संपूर्ण जांच कराने की बजाय नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि, ऐसा करना आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। शरीर पर निकलने वाली ये छोटी-छोटी फुंसियां आगे चलकर हर्पीस का लक्षण बन सकती हैं। आइए जानते हैं इस परेशानी के बारे में,साथ ही जानेंगे इसका कराण और बचाव भी।

हड्ड‍ियों की मजबूती के ल‍िए वेट ब‍ियर‍िंग एक्‍सरसाइज जैसे- वॉक‍िंग, रन‍िंग, जॉग‍िंग आद‍ि कर सकते हैं। 

इस बीच, जानवरों पर हुए प्रयोगों से पता चला है कि ज़ोकोवा से भ्रूण पर असर पड़ता है, इसलिए गर्भवती और गर्भावस्था की संभावना वाली महिलाओं को यह दवा नहीं दे सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय लंबे समय से जारी बीमारियों वाले लोगों से गोली लेते समय सावधानी बरतने का भी आग्रह कर रहा है, क्योंकि अन्य दवाओं के साथ लेने पर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

कोरोनावायरस महामारी से पहले, जापान में हर साल सर्दी के मौसम में इनफ़्लुएन्ज़ा का मौसमी प्रसार होता था। स्वास्थ्य अधिकारियों का अनुमान है कि हर वर्ष एक से दो करोड़ लोग इन्फ़्लुएन्ज़ा से संक्रमित हुआ करते थे।

इनके अतिरिक्त शुक्राशय, मूत्रनली, योनि व स्त्री-पुरुष के अन्य गुप्तांगों के संक्रमण, जैसे कि योनि व मुख का केण्डिडियासिस, अर्थात् कॅण्डिडा नामक एक खमीर (यीस्ट) के रूप में होने वाला एक कवक(फफूँद)-संक्रमण इत्यादि सूची यहाँ दर्शनी असम्भव है।

सरलीकृत व्यवस्था के तहत जिन लोगों के संक्रमण की विस्तृत रिपोर्ट दर्ज नहीं है, वे ‘आगे की जाँच से सम्बद्ध स्वास्थ्य केन्द्रों’ में अपना नाम पंजीकृत करवा सकते हैं। घर में ही इलाज के दौरान उनकी स्थिति बिगड़ने पर वे केन्द्र से सम्पर्क कर, परामर्श ले सकते हैं, जहाँ उन्हें बताया जायेगा कि वे किस अस्पताल में जाएँ।

खांसने या छींकने के बाद अपने हाथों को छोएं

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शारीरिक फिटनेस के...

जापान में प्रमुख रूप से जब ओमिक्रॉन उप-प्रकार फैला, तब सरकार ने नये प्रतिबंध न लगाने का फैसला किया। ऐसा इसलिए क्योंकि विशेषज्ञों ने पाया कि ओमिक्रोन प्रकार में, युवाओं में गंभीर लक्षण पैदा होने का जोखिम कम था और संक्रमण मुख्य रूप से घरों, स्कूलों और बुज़ुर्गों के देखभाल केंद्रों में फैल रहा था, न कि मदिरालयों और भोजनालयों में। सरकार ने सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को जारी रखते हुए, संक्रमण को फैलने से रोकने का लक्ष्य रखा।

"हर-सिस" प्रणाली में आगे भी सभी आयु वर्ग के रोगियों की कुल संख्या की जानकारी मौजूद रहेगी भले ही वे उच्च जोखिम वाले रोगी हों या न हों।

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